Mariana Trench (मारियाना गर्त) धरती की सबसे गहरी जगह है। यह एक महासागरीय गर्त है; जो पश्चिमी प्रशांत महासागर में मारियाना द्वीप समूह से 200 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। यह करीबन 11 किलोमीटर (सात मील) गहरा है। जहां चांद धरती से 384403 किलोमीटर दूर है; फिर भी वहां 12 लोग जा चुके हैं। वहीं मारियाना गर्त की गहराई केवल 11033 मीटर है। इसके बावजूद भी सिर्फ 3 लोग ही इसकी गहराई तक जा सके हैं। आइए हम और आप आज की इस पोस्ट में मारियाना गर्त के बारे में अधिक जानते हैं।

मारियाना गर्त - धरती की सबसे गहरी जगह - Technical Prajapati
मारियाना गर्त - धरती की सबसे गहरी जगह

दोस्तों यह गर्त इतना गहरा है कि - इसकी तुलना में अगर हम माउंट एवरेस्ट जो कि विश्व का सबसे बड़ा पर्वत है। इसे मारियाना गर्त में डाल देंगे तो भी वह समुद्र तट से 1.6 किलोमीटर पानी के अंदर होगा। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि, यह गर्त कितना गहरा है।

मारियाना गर्त - प्रशांत महासागर की सबसे गहरी जगह

मारियाना ट्रेंच धरती की वह जगह जो फिलीपींस के पूर्व में पश्चिमी प्रशांत महासागर में मारियाना द्वीप समूह से लगभग 200 किलोमीटर पूर्व दिशा में स्थित है। मारियाना ट्रेंच पृथ्वी की पपड़ी में एक अर्धचंद्राकार निशान है; जो ऊपर से देखने पर बहुत ही खूबसूरत नजर आता है। यह गर्त 1,500 मील (2,550 किलोमीटर) से अधिक लंबा है और औसतन 43 मील (69 किलोमीटर) चौड़ा है इसी के साथ यह 11 किलोमीटर गहरा है। यह इतना गहरा है कि, सूरज की रोशनी तक नहीं पहुंच पाती। इसका तापमान हिमांक से कुछ डिग्री ऊपर है। इस खाई के तल पर पानी का दबाव 8 टन प्रति वर्ग इंच है। इस गर्त के गहराई के साथ पानी का दबाव बढ़ता चला जाता है। मारियाना ट्रेंच गहरे कुंडों के एक वैश्विक नेटवर्क का हिस्सा है; जो समुद्र तल को काटता है। यह तब बनते हैं, जब दो टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में टकराती हैं। इस टकराव में प्लेटो में से एक दूसरे के नीचे पृथ्वी के आवरण में गोता लग जाता है। जिस वजह से समुद्र में खाई बनती है।

दोस्तों क्या आप जानते हैं - मारियाना ट्रेंच का नाम कैसे पड़ा? मारियाना ट्रेंच का नाम पास के मारियाना द्वीप समूह के नाम पर रखा गया है। इस द्वीप को ऑस्ट्रिया की स्पेनिश रानी मारियाना के सम्मान में लास मारियानास नाम दिया गया है।

मारियाना ट्रेंच की गहराई पहली बार वर्ष 1875 में ब्रिटिश जहाज HMS Challenger द्वारा भारित ध्वनि रस्सी (weighted sound cord) का उपयोग करके 4,475 फैथम (लगभग 5 मील या 8 किलोमीटर) की गहराई दर्ज की गई थी। इसके पश्चात, वर्ष 1951 में, ब्रिटिश जहाज HMS Challenger II द्वारा इको-साउंडर (echo-sounder) के साथ लगभग 7 मील (11 किलोमीटर) की गहराई मापी गई थी।

अभी तक केवल तीन व्यक्ति ही इसकी गहराई तक जा सके हैं। इसके पश्चात हमारे दिमाग में यह सवाल उठता है कि - सर्वप्रथम मारियाना ट्रेंच की खोज किसने की? तो दोस्तों सन 1960 में अमेरिका के रिटायर्ड नेवी लेफ्टिनेंट डॉन वॉल्श तथा उनके स्विट्जरलैंड के सहयोगी जैक्स पिककार्ड ने इस गर्त की खोज की थी। ये दोनो इस गर्त में 10,790 मीटर की गहराई तक पहुंचने में कामयाब हुए थे। इन दोनों ने 5 घंटे के अवतरण के बाद तल पर 20 मिनट बिताए। अफसोस उनके सामने मार्ग में उठे गाद के बादलों के कारण वह कोई भी तस्वीर लेने में असमर्थ रहे थे।

वर्ष 2012 में कनाडा के फिल्ममेकर जेम्स कैमरन एक पनडुब्बी में सोलो ट्रिप पर इस खाई के 10,898 मीटर तक नीचे गए थे। अपने इस ट्रिप के लिए पनडुब्बी बनाने में उन्हें 7 साल लगे थे।

मेरियाना ट्रेंच में जीवन

दोस्तों वैज्ञानिक यही मानते हैं कि - जहां सूरज की रोशनी नहीं पहुंच पाती; वहां जीवन संभव नहीं। हालांकि, मारियाना गर्त के लिए यह सब बिल्कुल गलत साबित होती है। जैसे कि हमने आपको बताया की - मारियाना गर्त के भीतर सूरज की रोशनी नहीं पहुंच पाती। इसके बावजूद यहां मछलियां मौजूद हैं। यह मछलियां अधिक से अधिक दबाव के बावजूद भी जीवित रहती हैं। इनमें स्नेलफिश तथा सूक्ष्म जीव (snailfish and microbes) शामिल है।

दोस्तों आपको यह जानकर हैरानी होगी कि - चैलेंजर गर्त में अभी तक कोई इंसान नहीं पाया गया है। लेकिन इंसान के द्वारा फैलाया गया कचरा इसकी तलहटी में पहुंच गया है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि - यदि हम ऐसे ही प्रदूषण फैलाते रहेंगे; तो यह प्रकृति एक दिन खत्म हो जाएगी।

मारियाना गर्त के बारे में रोचक तथ्य

  • यह विश्व की सबसे गहरी जगह है।
  • मेरियाना ट्रेंच की गहराई 11033 मीटर है।
  • यह इतना गहरा है कि, इसके अंदर माउंट एवरेस्ट भी समा जाए फिर भी 1.6 किलोमीटर जगह बच जाएगी।
  • इस गर्त के अंदर अभी तक सिर्फ 3 लोग ही जा पाए हैं।
  • इस गर्त में सूरज की रोशनी नहीं पहुंच पाती है।
  • सूरज की रोशनी के बगैर यहां जीवन संभव है।
  • मेरियाना ट्रेंच में स्थित सबसे गहरे गड्ढे को चैलेंजर गर्त के नाम से जाना जाता है।

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